बहानेबाज़ी की भी कोई हद होती है? या गिनती होती है? अभी तो दस कहा है, देखिए कितने बहाने सामने आते हैं
Twit-Bits
Wednesday, August 11, 2010
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला...
तो आज इस दुर्लभ संगीतमय प्रस्तुति का मज़ा लीजिए - ये तब की बात है जब फ़िल्मी गानों में साहित्य हुआ करता था और फिल्मों में आत्मा. अभी भी होता है - मगर सबमें नहीं, और इस बात पर मैं शाहरुख खान से सहमत हूं.
बहुत ही प्यारा गाना है पर ये निराशावादी गाने मन को दुखी करते हैं और निराशा,हताशा के अँधेरे में धकेलने लगते हैं.
ReplyDeleteबड़ा ही सुन्दर गीत है, बहुत सुहाता है, बार बार।
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