सब ने अपनी अपनी कह दी लेकिन हम चुपचाप रहे ..... संगम फिल्म के गाने बड़े ही मधुर हैं आज भी सुनने पर मजा आ जाता. इस फिल्म के दो शरारती गाने भी मुझे बहुत पसंद है. जब भी उलटी सीधी ड्रेस पहनती हूं 'इनको' डांस करके बतलाती हूं -'मैं क्या करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया ' और ये हंसते हंसते लोट पोट हो जाते हैं. ऐसा ही शरारती गाना है -ओ महबूबा ओ महबूबा तेरे दिल के पास ही है मेरी मंजिले मकसूद (शायद यही शब्द है) वो कूं सी जगह है जहाँ तू नही मोजूद. हिमांशु! आपके ब्लोग पर आना वसूल हो गया. हा हा हा
दीवाना सैकड़ों में पहचाना जाएगा.
ReplyDeleteसब ने अपनी अपनी कह दी
ReplyDeleteलेकिन हम चुपचाप रहे .....
संगम फिल्म के गाने बड़े ही मधुर हैं आज भी सुनने पर मजा आ जाता. इस फिल्म के दो शरारती गाने भी मुझे बहुत पसंद है.
जब भी उलटी सीधी ड्रेस पहनती हूं 'इनको' डांस करके बतलाती हूं -'मैं क्या करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया ' और ये हंसते हंसते लोट पोट हो जाते हैं.
ऐसा ही शरारती गाना है -ओ महबूबा ओ महबूबा तेरे दिल के पास ही है मेरी मंजिले मकसूद (शायद यही शब्द है)
वो कूं सी जगह है जहाँ तू नही मोजूद.
हिमांशु! आपके ब्लोग पर आना वसूल हो गया.
हा हा हा