दस बहाने बेहद ज़रूरी होते हैं आम आदमी की ज़िंदगी में।
दिल ले जाने के लिए।
जैसे सात फेरे ज़रूरी होते हैं हिन्दू पद्धति से विवाह के लिए, सात वचनों के साथ।आप यकीन मानिए, अगर आप बहानेबाज़ी में यक़ीन नहीं रखते तो आप जीवन में और चाहे कुछ भी कर सकते हों, पर दिल नहीं ले जा सकते। हर बहाना दस प्रतिशत दिल ले जाने की गारण्टी नहीं देता। शुरूआती बहाने कुछ कम, बाद के कुछ ज़्यादा ही दिल ले जाते हैं।
बहानेबाज़ क्या-क्या ले जाते हैं, ये तो बाद में ही पता चलता है, मगर धीरे-धीरे अच्छा लगने लगता है और दिल का क्या, ये तो चीज़ ही है "जाने-वाली" -
दिल गया, तुमने लिया, हम क्या करें?
जाने वाली चीज़ का ग़म क्या करें !
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